“इत्र, मित्र, और चरित्र किसी परिचय के मोहताज नहीं होते,

“इत्र, मित्र, और चरित्र किसी परिचय के मोहताज नहीं होते,
उनकी प्रस्तुति बिना बताए ही सुगंधित हो उठती है।”
मधु गुप्ता “अपराजिता”
“इत्र, मित्र, और चरित्र किसी परिचय के मोहताज नहीं होते,
उनकी प्रस्तुति बिना बताए ही सुगंधित हो उठती है।”
मधु गुप्ता “अपराजिता”