हसीं पल
इस सजीली, रंगीली, मनमोहक शाम को मैं क्या नाम दूॅं?
मस्ती में मदमस्त मदमाते हुए लोगों को क्या जाम दूॅं?
मेरे शब्दों की माला अर्पित है मेरे प्यारे दोस्तों को,
या रब तेरा करम कुछ हसीं पल उनकी मुट्ठी में बाॅंध दूॅं।
प्रतिभा आर्य
चेतन एनक्लेव
फेज-2जयपुर रोड (अलवर)