दोहा दशम . . . . अखबार
दोहा दशम . . . . अखबार
भोर हुई लो आ गया, आज नया अखबार ।
लेकर अपने अंक में, खबरों का संसार ।।1
प्रथम पृष्ठ पर हैं छपे , नेताओं के राग ।
हाथ मिलाते हाथ में, लेकर जलती आग ।।2
दुर्घटना की सूचना , खून, कत्ल का शोर ।
बेबस जनता देखती, सरकारों का जोर ।।3
अक्षर – अक्षर खोलता, नेताओं की पोल ।
आश्वासन के जाल में, जनता जाती डोल ।।4
कहीं नारी उत्थान तो , कहीं नारी लाचार ।
अजब-अजब सी सूचना ,लायी है अखबार ।।5
कैसे ओ अखबार तू, भर लायी अंगार ।
चीर हरण की वेदना, नार सहे लाचार ।। 6
कुंभ तीर की भीड़ पर, चीख रहा अखबार ।
घायल जन के घाव पर, मौन हुई सरकार ।।7
अव्यवस्था से हुई, हृदय विदारक बात ।
चित्रावली अखबार की, दिखा रही आघात ।।8
ग्रास भीड़ का कुंभ में, बने हजारों लोग ।
आँखें बेबस भोगती, अंध भक्ति का भोग ।।9
अखबारों ने कुंभ का, जमकर किया प्रचार ।
विश्व पटल पर आस्था, खूब हुई साकार ।।10
सुशील सरना / 18-2-25