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27 Jan 2024 · 1 min read

आया बसंत

आया बसंत
ऋतु बदल गई, आया बसंत, सबके मन को भाया बसंत।
आया बसंत आया बसंत।।

जाड़े ने अपनी जिद छोड़ी,धरती ने हरियाली ओढ़ी।
खिल उठे पुष्प उपवन महके,हर पादप पर छाया बसंत।
आया बसंत आया बसंत।

खेतों में सरसों खिली हुई,धानी चूनर सी बिछी हुई।
नभ में सतरंगी इंद्रधनुष,धरती अंबर छाया बसंत।
आया बसंत आया बसंत।

मन में जागा उल्लास नया,तन का सारा संताप गया।
हर श्वास सुधा संचार हुआ,अंतर्मन तक छाया बसंत।
आया बसंत आया बसंत।

आशीष शारदा का पाया,जड़ चेतन में अमृत आया।
नव सृजन शक्ति संचार हुआ,दिग दिगंत में छाया बसंत।
आया बसंत आया बसंत।

श्रीकृष्ण शुक्ल, ‘कृष्ण’
मुरादाबाद।
09.02.2019

233 Views

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