छप्पय छंद
छप्पय छंद
रोला+उल्लाला
4 +4 +21, 3 +2+ 4 +4
2 +8 +212, 8+ 212
अपनी धुन में आज, रहे है दुनियां सारी।
करना मन की बात, पड़े है अब तो भारी।।
पल दो पल के दोस्त,रखें मतलब से यारी।
मुख पर मीठे शब्द, वार है पीछे जारी।।
अब मस्त मग्न तुम भी रहो, बात वात कुछ कम करो।
खुद में ही खुशियां ढूंढ लो,सबके पीछे मत मरो।।
प्रेम प्यार का छेड़, साज तुम गाते रहना।
वक़्त चले जिस राह,उसी पे बढ़ते चलना।।
कोई अपना साथ,चले तो किस्मत कहना।
तन्हाई हो पास, ज्ञान गीता का पढ़ना।।
नहिँ कोई अपना जान ले,जल्दी ये पहचान रे।
धुन प्रभु में बस तूं ले लगा, साथी वो भगवान रे।।
जीवन का है सार, नियत को निर्मल रखना।
सच का देना साथ,पड़े दुख कितना सहना।।
रुकना मत तू हार, सदा बस आगे बढ़ना।
बन नदिया की धार,शुद्ध तुम शीतल बहना।।
रख अंतस ईश्वर नाम को, करना अच्छे काम रे।
शुभ कर्मों की ले पोटली,जाना प्रभु के धाम रे।।
सीमा शर्मा