सत्य सनातन धर्म

कुंडलिया
1.
धर्म सनातन जगत में, रखता है पहचान।
जड़ चेतन को पूजते, नारी का सम्मान।
नारी का सम्मान, कर्म प्रधान बताते।
जो जस करता कर्म, सभी फल वैसा पाते।
कहत ‘राज’ पर काज हित, सब विधि पूजन कर्म।
मोक्ष प्रदाता है यही, सत्य सनातन धर्म।।
2.
धर्म सनातन मूल है, कहते हैं सब लोग।
कर्मों के अनुसार ही, सदा पाव फल भोग।
सदा पाव फल भोग, वेद सब ग्रंथ बखानत।
गंगा गऊ गायत्री, पूज्य सब इनको मानत।
कहत ‘राज’ निज काज तज, करहु भलाई कर्म।
मोक्ष प्रदाता है यही, सत्य सनातन धर्म।।
3.
धर्म सनातन कर्म है, धर्म सनातन मर्म ।
शक्ति भक्ति से प्राप्ति, सहज सुलभ अति नर्म।
सहज सुलभ अति नर्म, योग अष्टांग बताते।
सिंह नाग वट वृक्ष, सभी हैं पूजे जाते।
कहत ‘राज’जप दान तप, क्षमा दया सत् कर्म।
मोक्ष प्रदाता है यही, सत्य सनातन धर्म।।
राजकुमार पाल (राज)