**देखी सारी दुनिया जग में कोई ऐसा पाया जा**

**देखी सारी दुनिया जग में कोई ऐसा पाया जा**
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देखी सारी दुनिया जग में , कोई ऐसा पाया ना,
सुख के सारे साथी जग में,कोई दुख में आया ना।
मतलबखोरी सिर चढ़ बोले,कोई किसी का मीत नहीं,
मिलजुल गाते गीत खुशी के,देखी ऐसी प्रीत नहीं,
पंछी – पिंजरे खाली देखे,कोई नभ से आया ना।
सुख के सारे साथी जग में कोई दुख में आया ना।
बात–पुरानी हुई जगत में,सीख–सिखाईं खत्म हुई,
प्रेम की भाषा बोले सारे,बीत गई सी रस्म हुई,
साथ रहनिए पीछे हट गए, आगे हाथ बढ़ाया ना।
सुख के सारे साथी जग में,कोई दुख में आया ना।
बाग – बगीचे सूखे सारे,माली के मन ही बदल गए,
काँटें भारी हुए पुष्प पर,फूलों के रंग बिखर गए,
मनसीरत है फंसा भंवर में,कोई राह नजर आया ना।
सुख के सारे साथी जग में,कोई दुख में आया ना।
देखी सारी दुनिया जग में , कोई ऐसा पाया ना।
सुख के सारे साथी जग में, कोई दुख में आया ना।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)