निवाला ( गीत )

बसंत सुहानी आयी रे
अन्नदाता झूमें मस्ती में
खुशियाँ छायी हर बस्ती में
फसल कटाई पल आयी रे
गले मिलते फसल बालियाँ
लहर हिलौरे खेत क्यारियाँ
अंगड़ाई में कृषक वादियाँ
मेहनत का फल आयी रे
लिपट चिपट मंजरी बोले
बिछुड़न का पल आयी रे
बालियाँ फल श्रृंगार सजा
अन्न कण का बारात बड़ा
मण्डी मण्डी मंडप सजेगी
ट्रैक्टर ट्रॉली से द्वार लगेगी
दुलहन किस घर जायी रे
कहाँ पे नव आशियाना रे
धरती मां ने पाला पोसा
कृषक ने दिया सहारा री
सूरज भैया से शक्ति पाया
काली बदरा हमें है सींचा
ओसों से है प्यास बुझाया
बह बयार नें मस्ती कराया
चाँद सितारे साज़ सजा
थिरका नीले अम्बर नीचे
तेलहन दलहन दुल्हाराजा
शेरवानी पहने रंग रंगीला
बारातीं भैया पहन पैजामा
रब जाने किस घर जायी रे
मोल भाव नाप तोल से
इधर से उधर ले जायी रे
हर घर मेरा आश्रय होगा
धरती का हर मेरा कोना
परिवार संवारे पल पल
स्वादिष्ट मुंह निवाला री
धरा धरणी रंग भेद भरी
कोई नही इनसे न्याता री
मैं तो सबकी निवाला री
प्राण रक्षक जीवन दाता
मेरे सिवा कौन रखवाला
खेत क्यारी से ले बिदाई
सब घर की महारानी री
बसंत सुहानी आयी री
मुंह का इक निवाला री