[माँ-बाप]
ज़माने में जिस प्यार के लिए हम जीते हैंI
सबसे ज्यादा प्यार उन्हीं के पास होता हैII
तुम्हें देने के लिए उनके पास कुछ हो ना होI
लेकिन उनका होना ही तुम्हारे लिए सब कुछ हैII
उनसे बहुत ना सही पर थोड़ी बात हंसकर रोज किया करोI
राह तकते हैं तुम्हारी अपने घर जाने की बात उन्हें बताया करोII
ज़िन्दगी के कितने हसीन पल गंवाए होंगे तुम्हारे खातिरI
तुम भी कुछ पल समर्पित करो उनके खातिरII
अब घर के दरवाजे नहीं बंद करते इस आस मेंI
ना जाने तुम कब पहुंच जाओ उनके पास मेंII
सफर आख़िरी है उनकी मंजिल सेI
अब नाराज़ ना हुआ करो अपने माँ-बाप सेII
शिव प्रताप लोधी