*बतलाते जो कुंभ में, होता धन बर्बाद (कुंडलिया)*

बतलाते जो कुंभ में, होता धन बर्बाद (कुंडलिया)
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बतलाते जो कुंभ में, होता धन बर्बाद
नफरत हिंदू धर्म से, उनको केवल याद
उनको केवल याद, सनातन कब पहचाना
जहॉं तिलक की छाप, हेय उसको ही माना
कहते रवि कविराय, देश को कब वह भाते
जिनके तुच्छ विचार, बुरी डुबकी बतलाते
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997 615 451