प्रिए है मधुशाला
(१)
मैं न सुनूंगा और किसी की
प्रिए नयन ही हैं प्याला।
प्रिय का ही सौन्दर्य हुआ है
मेरे सम्मुख मृदु हाला।
अपनी फ़िक्र करो तुम साथी
ढूंढ़ो मधुआलय अपना,
मेरे सम्मुख स्वयं उपस्थित
मेरी अपनी मधुशाला।।
(१)
मैं न सुनूंगा और किसी की
प्रिए नयन ही हैं प्याला।
प्रिय का ही सौन्दर्य हुआ है
मेरे सम्मुख मृदु हाला।
अपनी फ़िक्र करो तुम साथी
ढूंढ़ो मधुआलय अपना,
मेरे सम्मुख स्वयं उपस्थित
मेरी अपनी मधुशाला।।