लगन प्रेम की
लगन प्रेम की
लगन प्रेम की जबसे मुझको लगी,
दिल में उमंगे अब उछलने लगीं।
चाँदनी रातों में अब तेरा एहसास है
बिन तेरे हर सुबह वीरान सी लगी।
तेरी खुशबू ने महकाया जीवन मेरा,
हर तरफ मुझे रौनक ए बहार लगी।
जब से तुझसे मिला हूँ मैं दिलरुबा,
जिंदगी खुशियों भरी सौगात लगी।
तेरी हंसी में छिपी हर खुशी अब मेरी,
गम की किस्मत मेरी अब बदलने लगी।
तुम जो आए तो जीवन रंगी हुआ
छटा सतरंगी अब बिखरने लगी
अकेला था मैं जिंदगी थी अधूरी,
जिंदगी संग तेरे मुकम्मल लगी।
इंजी. संजय श्रीवास्तव
बालाघाट, मध्य प्रदेश
94258 22488