जिंदगी तुम से ही , मुनव्वर है ,
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ग़ज़ल
1,,
जिंदगी तुम से ही , मुनव्वर है ,
जिस तरह चाँदनी , मुनव्वर है ।
2,,
लफ़्ज़ सब चाशनी में, तर निकले ,
लिख गए जो , सभी मुनव्वर है ।
3,,
रूखसती बाद भी , यहीं ठहरे ,
अब लबों पर यही , मुनव्वर है ।
4,,
शाम तन्हा थी ,रात काली थी ,
आप आए , सदी मुनव्वर है ।
5,,
गुल खिलाकर ,खिला दिया आलम ,
खुशबुओं में , अजी मुनव्वर है ।
6,,
जब किया जादु ,गीत गजलों का ,
शोर उठता , सही मुनव्वर है ।
7,,
गूंज अल्फाज़ की , कहां रुकती ,,
चीख़ कर बोलती , मुनव्वर है ।
8,,
चाँद तारों की, महफिलें सजती ,
अर्श तक फर्श भी , मुनव्वर है ।
9,,
कारवाँ दुख का ले के ,हँस देता ,
लोग कहते , सख़ी मुनव्वर है ।
10,,
माँ के आँचल से जो लिपट, कहता ,
तुझ से मेरी ज़मी , मुनव्वर है ।
11,,
वो कहां जायेंगे , दिलों से अब ,
“नील” घर घर खुशी ,मुनव्वर है ।
✍️नील रूहानी ,, (नीलोफर खान)