” ग़ज़ल “
” ग़ज़ल ”
मंज़िल की राह में काँटे बिछे मिलेंगे ज़रूर,
ख़ुद अपने पाँव से दूरी माप सको तो चलो।
हर हवा की दिशा पर चलता नहीं है इंसान,
तुम अपने हौसले का रुख़ बदल सको तो चलो।
किसी के दिल में जगह बनाने का हुनर सीखो,
हर किसी की दुनिया में रंग भर सको तो चलो।
सूरज बादलों में छुपा है, यह एक सच है मगर,
तुम अपने दिल का दिया जला सको तो चलो।
” पुष्पराज फूलदास अनन्त “