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14 Feb 2024 · 1 min read

भ्रम अच्छा है

कमरे की खिड़की मेरी
पूछती है अक्सर
क्यूँ मैं चाँद को आने देती हूँ
दबे पाँव भीतर
रात-बे-रात-रात कमरे में अपने
और जवाब कहता नहीं
कि खिड़की मेरे कमरे की
इश्क़ में है मेरे
और मैं चाँद के इश्क़ में
बस इतनी सी बात जरूर है
लेकिन कह दी जाए
तो अनकही ही भली है ऐसे
अपने-अपने इश्क़ हैं
और अपने-अपने भ्रम भी
बात ये है कि
ख़ुश है हर एक अपने भरम में
और इश्क़ में एक भ्रम भी
न हो तो जैसे जीने की
वजह नहीं फ़िर भी
ये भ्रम बना रहे तो अच्छा है.

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