Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
11 Oct 2019 · 1 min read

हमारे बुजुर्ग

जब बुढापे में पड़े है झाइयाँ
डर लगे है देख कर परछाइयों

बाल बच्चे जब न कहना मानते
बाप माँ की फट पड़े तब छातियाँ

आज सोशल मीडिया उनका खुदा
फिर न करता कोन है सुनवाइयाँ

घर निकाले क्यों गये ये वृद्ध जन
नव वधूए हो गई पटरानियाँ

खो गई शालीनता औ सभ्यता
इसलिए मन में बनी गहराइयाँ

लड़कियों को मूल्य संस्कार दे
तब बजाये आप ये शहनाइयाँ

पौध जैसा कर बड़ा जीवन दिया
दे रहे क्यों रोज हम तन्हाइयाँ

Loading...