खत में लिख रखा था मेरे चाहने का पैगाम।

खत में लिख रखा था मेरे चाहने का पैगाम।
पर अपने दिल पर तुमने लिख रखा था किसी गैर का नाम।
धोखेबाजी तुम्हारी फितरत में बसी थी।
चेहरे पर तेरी छलावे वाली हंसी थी।
मुझसे तो तुम निकाल रही थी केवल अपने काम।
RJ Anand Prajapati