जीवन अनमोल सफर
**जीवन अनमोल सफर**
चौरासी लाख योनियों यह जीवन है एक सफर
मिलता है बहुत मुश्किल से मनुज का अवसर
विकसित बुद्धि ज्ञान मिलता है इसमें ही भर भर
मौके मिलते हैं उन्नति के मनुष्य लगा निरंतर
मानव जीवन अनमोल है और संसार है नश्वर
स्वार्थ बुद्धि में रमकर खो देता है सुंदर अवसर
काम क्रोध में विवेक गंवा क्यूं पशु बन जाता नर
एक-दूजे की परवाह नहीं खुद ही ही खुद में रहते खर
तेरा, मेरा कर ऐसा अनमोल समय व्यर्थ बातों में गंवाकर
वैर बुराइयों का बांध पुलंदा संसार से रुखसत होता जो नर
बेकार उसका मानव जीवन मे आना कहते उसको पशुचर
सच्ची राह पर चलकर मानव मन को सार्थक बनाना
औरों के लिए भी जीना सीखो यही जिंदगी का फ़साना
कल का क्या भरोसा सबके साथ माधुर वाणी बतलाना
धन दौलत न जाएंगे साथ मे अच्छाइयों को ही ले जाना।
नहीं मिलेगा सहज मानव जीवन कहते हैं वेद पुराण
पुण्य प्रसून उगाना जीव सदा फैलेगी खुशी की मुस्कान
फल की चिंता मत कर करते सुकर्म धरो हरि का ध्यान
निर्मल उर अंतर खुशी अनंत मिलेगी खुद ही जाओगे जान।
-सीमा गुप्ता अलवर राजस्थान में