अब कोई ज़ख्म भी मिल जाए तो महसूस नहीं होता है
अब कोई ज़ख्म भी मिल जाए तो महसूस नहीं होता है
रूह की तड़प झलक पड़ती है इन आंखों से,
पर लबों से उफ्फ़ तक ना निकलता है !
दर्द तो बहुत समाये हुए है दिल में मेरे,
कितने हैं दर्द आंखों में अब नहीं दिखता है !
कोई पूछे हाल-ऐ -दिल मेरा,
सब ठीक है कहकर मसला बदल देता हूँ !
मन तो करता है दिल की बातें करूँ.. किसी से हज़ारों..
दर्द -ऐ – दिल कर भी दूँ बयां.. पर कोई ऐब ना निकाल ले,
यहीं सोचकर चुप रहता हूँ !
लगता नहीं.. कुछ बची भी है जिंदगी की उम्मीदें,
इतने दर्द झेल चुका हूँ कि.. अब सदमों में भी सब्र रखता हूँ !
जानता हूँ सबकी खामियाँ, पर कुछ कहता नहीं हूँ,
उठाते है सब फायदा मेरी शराफतों का..
फिर भी सुनता हूँ सबकी और बस! चुप रहता हूँ !
किरदार मेरा अब भी बेदाग़ -सा ही है,
कुछ अपनों की गुस्ताखीयों पर दिल जार -जार -सा है !
ना पूछना कभी किस पर मुझे ग़ुमान-सा है,
जिन पर था गुमान-ऐ- फक्र..सब दाग़-दाग़-सा है !
किसी के सपने उजाड़कर बसाँ तो लूँ अपनी ज़िन्दगी,
फिर उन सपनों का क्या.. जहाँ मेरे सपनों का किस्सा ही तार-तार-सा है !!
❤️ Love Ravi ❤️