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11 Dec 2025 · 2 min read

कुकुर समाधि

किसी बेजुबान जानवर की समाधि जन आस्था का केन्द्र बन जाए तो यह आठवाँ अजूबा से कम नहीं है। बालोद से 6 कि.मी. दूर डौंडीलोहारा प्रखण्ड के ग्राम खपरी (मालीघोरी) की कुकुर समाधि ऐसा ही स्थल है, जिस पर क्षेत्रवासियों की अगाध आस्था है। पुरातत्व विभाग द्वारा लगाए गए पटल पर लेख है कि कुकुर देव मन्दिर का निर्माण फणिनाग वंशीय शासकों द्वारा 14-15 वीं सदी ईस्वी के मध्य कराया गया था।

एक रोचक जनश्रुति यह है कि ग्राम खपरी (मालीघोरी) में कभी बंजारों की बस्ती थी, जहाँ मालीगोदी नामक बंजारा के पास एक स्वामीभक्त कुत्ता (कुकुर) था। एक बार उस क्षेत्र में काफी अकाल पड़ा। मालीगोदी ने विवश होकर अपने कुत्ते को माल गुजार के पास गिरवी रख दिया।

कुछ दिन बाद रात्रि में मालगुजार के यहाँ चोरी हो गई। कुत्ते ने चोरों को चोरी का सामान समीप के तालाब में छुपाते हुए देख लिया। सुबह होने पर वह कुत्ता मालगुजार को उस स्थान पर ले गया, जहाँ चोरी का माल छुपाया गया था।

चोरी का माल मिल जाने पर मालगुजार काफी प्रसन्न हुआ। मालगुजार को उस कुत्ते की वफादारी और सतर्कता का अहसास हुआ। तब मालगुजार ने उस कुत्ते के गले में उसकी स्वामीभक्ति और कर्तव्य परायणता का वृतान्त बांध कर उसे अपने मालिक के पास जाने के लिए मुक्त कर दिया।

उधर कुत्ते को वापस आता देखकर बंजारा मालीगोदी आग बबूला हो उठा। उसे लगा कि कुत्ता भागकर आ रहा है। उसने आव देखा न ताव कुत्ते की डण्डे से पिटाई शुरू कर दी। अनवरत डण्डे के प्रहार से वह कुत्ता मर गया। कुत्ते के मर जाने के बाद मालीगोदी ने उसके गले में बंधे पत्र को पढ़ा। सच्चाई जानकर उसे बहुत दुःख हुआ। वह पश्चाताप के समन्दर में डूब गया।

बंजारा मालीगोदी ने उस कुत्ते की समाधि बनाने को ठाना। अन्ततः मालीगोदी ने उसी स्थान पर समाधि निर्माण कर अपने स्वामी भक्त कुत्ते को इतिहास में अमर कर दिया। आज वही मालीगोदी मालीघोरी के नाम से जाना जाता है।

अब उसी कुकुर समाधि के ऊपर शिवलिंग स्थापित कर दिया गया है तथा ‘कुकुर देऊर मन्दिर’ नाम दिया गया है। मन्दिर के प्रवेश द्वार के दोनों ओर गले में लाल का पट्टा बंधा हुआ काले कुत्ते की दो अलग-अलग प्रतिमाएँ हैं। मन्दिर के एक पत्थर में कुछ लिपियाँ, चन्द्र आकृति, कुकुर और बंजारों का काफिला अंकित है।

वस्तुतः वक्त की धूल से काफी कुछ धुंधला गया है। समय रहते इस स्थल का विकास मूलतः “कुकुर समाधि” के रूप में किया जाना उचित एवं अत्यावश्यक है।

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
भारत भूषण सम्मान प्राप्त
हरफनमौला साहित्य लेखक।

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