कितनी सुहावनी शाम है।
कितना प्यारा अंबर है,
देखो यह स्वर्ग समान।
नयन पाए सुख अपार,
मिट जाए सारी थकान।।
मन प्रफुल्लित हो जाता,
मिलता है खूब आनंद ।
इतनी प्यारी यह प्रकृति,
सुरभि बह रही मंद मंद।।
खिले खिले से फूल है,
उन पर है तितली प्यारी।
कितनी सुहावनी शाम है,
हरियाली ओढ़े धरा सारी।।
— जेपीएल