Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jun 2024 · 4 min read

भाग्य निर्माता

भाग्य निर्माता

काली अँधेरी रात में राम जाग रहे थे, यह वर्षा ऋतु उन्हें शत्रु प्रतीत हो रही थी ।यह थमे, कीचड़ भरे रास्ते , फिर से राह दें तो राम अंगद को दूत बनाकर भेजें, सदा स्थिर रहने वाले राम आज अस्थिर अनुभव कर रहे थे ।
यह पिछले वर्ष की ही तो बात है जब वह सीता से कह रहे थे,
“ देखो प्रकृति थकना नहीं जानती, वर्षा चली आती है दनदनाती हर वर्ष जीवन में अटल विश्वास लिए ।”
और सीता हंस दी थी, “ आप तो कवि हो उठे हो ।”
राम मुस्करा दिये थे, “ जब तुम मेरे साथ हो, लक्ष्मण मेरे साथ है तो मेरा जीवन में विश्वास भी अटल है।”

याद करके राम की आँखें नम हो आई।
उन्होंने अपने कंधे पर लक्ष्मण का हाथ अनुभव किया और अपने आंसुओं को वहीं से लौटा दिया ।

लक्ष्मण ने राम के आंसू देख लिए पर कुछ कहना उचित नहीं समझा ।

“ कभी नहीं सोचा था कभी इस ख़ंडहर में वर्षा ऋतु बीतने की प्रतीक्षा करनी होगी। “ लक्ष्मण ने बातचीत आरंभ करने के प्रयत्न में कह।

“ अयोध्या का राजकुमार अपने निर्धन भाई के साथ कहाँ कहाँ भटक रहा है । “ राम ने मुस्कुराते हुए कहा ।

“ नहीं , लक्ष्मण का बलशाली भाई , अपनी छत्रछाया में उसे जीवन निखारने का अवसर दे रहा है। “

राम चुप रहे तो लक्ष्मण ने फिर कहा, “ भईया आप भाग्य को मानते है ?”
“ क्यों नहीं, आज की यह काली रात हमारा भाग्य ही तो है, हमारा चुनाव नहीं ।”

लक्ष्मण अपने भाई की व्यथा को समझ गया , वह सोच रहा था, मेरा भाई, जिसने बिना संकोच के राज्य त्याग दिया, ताकि युद्ध न हो और जीवन मूल्य बने रहें, उसी भाई को नियति बार बार युद्ध के लिए विवश करती है । ऐसा कौन सोच सकता था कि इतने शक्तिशाली सम्राट की बेटी और बहु का हरण हो जायेगा, और राम अपना धनुष बाण लिए वर्षा ऋतु के बीतने की प्रतीक्षा कर रहे होंगे। यदि आज राम विचलित हैं तो आश्चर्य क्या, आज पहली बार भाग्य के विशाल हाथ राम की ऑंखें नम कर गए हैं ।

अगली सुबह सूरज की किरणें पृथ्वी को अपनी गर्मी से ढकने के लिए बेताब लग रही थी , दूर से कुछ आवाज़ें वातावरण को भरने लगी थी । लक्ष्मण ने कहा,
“ लगता है हनुमान अपने संगी साथियों के साथ इस ओर बढ़े आ रहे हैं ।”
“ हाँ । “ राम हंस दिये , “ हनुमान तो लगता है जैसे हमारा जन्मों से बिछड़ा भाई है। जंगल न आते तो यह भी न मिलता ।”

राम की बात समाप्त भी नहीं हुई थी कि हनुमान अपने मित्रों के साथ खंडहर में लांघते फाँदते दिखाई दिये। उन्हें देख राम का चेहरा खिल उठा।

हनुमान ने कहा, “ क्षमा करें राम पिछले सप्ताह भर पानी बरसता रहा, सारी नदियाँ तट तोड़ भागी हैं । सारे रास्ते कीचड़ से भरे हैं । परन्तु कल आधी रात जब पानी थमा तो हमने तभी चलने का निर्णय कर लिया, घंटों चलने के बाद यह दो योजन की दूरी तय कर पाए हैं ।”

“ मैं जानता हूँ हनुमान , परन्तु अभी समय और व्यर्थ नहीं होगा । वर्षा ऋतु का यह समय हम अपने प्रशिक्षण में , और हथियार बनाने में लगायेंगे । आप में से जो घर जाना चाहें, वे संध्या समय जायें और सूर्योदय के साथ लौट आयें ।”

“नहीं राम, अब हम घर विजय प्राप्ति के पश्चात ही जायेंगे ।” किसी ने कहा और वह खंडहर जय श्री राम की ध्वनि से जीवंत हो उठा ।

नित नए उत्साह से वानर सेना अभ्यास कर रही थी, रात को राम युद्ध के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते । भोजन का उत्तरदायित्व उन्होंने बुद्धिमान निगम को सौंप दिया और कहा, “ कोई भी सेना बिना भोजन के नहीं लड़ सकती, इसके लिए प्रयत्नशील रहो कि सेना को कभी भी भूखा न सोना पड़े।”

अधिरथ से कहा,” हथियारों की सुदृढ़ता के लिए धातुओं की खोज जारी रखो, उनका उत्पादन किसी भी स्थिति में धीमा न हो। “

नल से कहा, “ वैद्यों की संख्या बडाओ, औषधियों से अपने भंडार भर दो, मेरा कोई भी सैनिक औषधि के अभाव में अपने प्राण नहीं खोयेगा ।”

“ और दर्पण तुम अपने मित्रों के साथ साहस और आत्मविश्वास के साथ सेना के आगे गाते हुए चलोगे ।”

राम के स्वर में इतना विश्वास था कि किसी ने यह नहीं कहा, राम, हमारे पास साधनों का अभाव है, सबको लगा, यदि राम कह रहे हैं तो हम यह संभव कर सकते है।

उन विरान पड़े खंडहर से जंगल में चहुं ओर जीवन की लहर दौड़ गई ।

वर्षा ऋतु बीत गई, समय आ गया जब राम अंगद को रावण के पास संधि प्रस्ताव के लिए भेजें ।

सेना समुद्र तट पर एकत्रित थी।

राम ने पल भर के लिए स्नेह से लक्ष्मण को देखा और मुस्करा दिये, फिर उन्होंने एक संतोष जनक दृष्टि अपनी सेना पर डाली और कहना आरम्भ किया ,” कुछ समय पूर्व मुझसे लक्ष्मण ने पूछा था, क्या मैं भाग्य को मानता हूँ तो मेरा उत्तर था, हाँ मानता हूँ, परन्तु वह अधूरा उत्तर था, यदि व्यक्ति अकेला है तो वह भाग्य के अधीन है, परन्तु जब पूरा समाज एकजुट हो प्रयत्न करता है तो वह भाग्य को परास्त कर देता है , जैसा कि हम करने जा रहे हैं । और मैं उस दिन का स्वप्न देखता हूँ जब पूरी मानवता एक जुट हो सबके लिए सुख शांति ढूँढकर भाग्य को अपनी मुट्ठी में कर लेगी । इसके लिए मैं अंगद को शांति दूत बनाकर भेज रहा हूँ। यदि रावण संधि प्रस्ताव स्वीकार कर लें और सीता को सम्मान पूर्वक लौटा दें , तो राम, सीता, और लक्ष्मण उसे क्षमा कर देंगे , और जनमानस युद्ध की क्षति से बच जायेगा , , साथ ही हम यह आश्वासन भी चाहेंगे कि वह अब से सब जन जातियों के शांति से जीवन यापन के अधिकार की रक्षा करेगा ।”

अंगद ने गुरूजनों का आशीर्वाद लिया, और आत्मविश्वास से लंका की ओर बड़ गया । जंगल देर तक राम की जय के नारों से गूंजता रहा।

——शशि महाजन

Language: Hindi
1 Like · 116 Views

You may also like these posts

बड़ा अजीब सा
बड़ा अजीब सा
हिमांशु Kulshrestha
हॉं और ना
हॉं और ना
Dr. Kishan tandon kranti
किया है कैसा यह जादू
किया है कैसा यह जादू
gurudeenverma198
खाएं भारतवर्ष का
खाएं भारतवर्ष का
RAMESH SHARMA
जीवन में बहुत कुछ फितरत और अपनी ख्वाहिश के खिलाफ करना पड़ता ह
जीवन में बहुत कुछ फितरत और अपनी ख्वाहिश के खिलाफ करना पड़ता ह
Raju Gajbhiye
किसी से कम नही नारी जमाने को बताना है
किसी से कम नही नारी जमाने को बताना है
Dr Archana Gupta
हिंदी साहित्य में लुप्त होती जनचेतना
हिंदी साहित्य में लुप्त होती जनचेतना
Dr.Archannaa Mishraa
उम्मीद की डोर
उम्मीद की डोर
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
दिल बचपन
दिल बचपन
Ashwini sharma
बन्दे   तेरी   बन्दगी  ,कौन   करेगा   यार ।
बन्दे तेरी बन्दगी ,कौन करेगा यार ।
sushil sarna
गुरु महाराज के श्री चरणों में, कोटि कोटि प्रणाम है
गुरु महाराज के श्री चरणों में, कोटि कोटि प्रणाम है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
पुरुषार्थ
पुरुषार्थ
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
गृहिणी तू
गृहिणी तू
Seema gupta,Alwar
खुद को रखती हूं मैं
खुद को रखती हूं मैं
Dr fauzia Naseem shad
মৃত্যু তেমন সত্য
মৃত্যু তেমন সত্য
Arghyadeep Chakraborty
चार दीवारों में कैद
चार दीवारों में कैद
Shekhar Deshmukh
शिकवे शिकायत करना
शिकवे शिकायत करना
Chitra Bisht
वो ज़माना कुछ और था जब तस्वीरों में लोग सुंदर नही थे।
वो ज़माना कुछ और था जब तस्वीरों में लोग सुंदर नही थे।
Rj Anand Prajapati
इश्क़ ज़हर से शर्त लगाया करता है
इश्क़ ज़हर से शर्त लगाया करता है
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Ant lily Weds Elephant Tongo
Ant lily Weds Elephant Tongo
Deep Shikha
तुम भी सर उठा के जी सकते हो दुनिया में
तुम भी सर उठा के जी सकते हो दुनिया में
Ranjeet kumar patre
“Whatever happens, stay alive. Don't die before you're dead.
“Whatever happens, stay alive. Don't die before you're dead.
Ritesh Deo
त क्या है
त क्या है
Mahesh Tiwari 'Ayan'
मेरे प्यारे पहाड़
मेरे प्यारे पहाड़
Sakhi
4604.*पूर्णिका*
4604.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आदमी
आदमी
सिद्धार्थ गोरखपुरी
डमरू घनाक्षरी
डमरू घनाक्षरी
seema sharma
तलाशी लेकर मेरे हाथों की क्या पा लोगे तुम
तलाशी लेकर मेरे हाथों की क्या पा लोगे तुम
शेखर सिंह
रंगों की होली
रंगों की होली
Karuna Bhalla
Loading...