Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Sep 2024 · 1 min read

इश्क़ ज़हर से शर्त लगाया करता है

“इश्क़ ज़हर से शर्त लगाया करता है”

इश्क़ ज़हर से शर्त लगाया करता है,
दिल को दर्द से भरमाया करता है!!

चुपचाप निगाहों में खो जाता है,
आंसुओं से रिश्ता निभाया करता है!!

हर रात चाँद से ही बातें करता है,
ख़्वाबों को तन्हाई में सजाया करता है!!

वो जो टूटे हैं, उन्हें जोड़ा करता है,
बिखरी हुई उम्मीदें समेटा करता है!!

राह में कांटों से दोस्ती कर ली,
फिर भी गुलों से दामन सजाया करता है!!

जो आग दिल में लगी हो चुपचाप,
उससे हर दिन खुद को तपाया करता है!!

हवाओं से बगावत करता है अक्सर,
फिर भी तस्लीम में सर झुकाया करता है!!

वो जो मुक़द्दर से जंग लड़ता है,
उसी को खुदा कहकर बुलाया करता है!!

इश्क़ तो ताश के पत्तों सा खेल है,
जो हार के भी जीत पाया करता है!!

हंसते हुए जख्मों को छुपाया करता है,
खुशियों को गम से मिलाया करता है!!

इश्क़ ज़हर से शर्त लगाया करता है,
फिर ज़हर को अमृत बनाया करता है!!

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

154 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

kg88
kg88
kg88
किस क़दर
किस क़दर
हिमांशु Kulshrestha
वफ़ा
वफ़ा
shabina. Naaz
नववर्ष की नई सुबह में
नववर्ष की नई सुबह में
gurudeenverma198
वक्त और हालात जब साथ नहीं देते हैं।
वक्त और हालात जब साथ नहीं देते हैं।
Manoj Mahato
अ-परिभाषित जिंदगी.....!
अ-परिभाषित जिंदगी.....!
VEDANTA PATEL
कुछ लोग जन्म से ही खूब भाग्यशाली होते हैं,
कुछ लोग जन्म से ही खूब भाग्यशाली होते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
बेवजह मुझसे फिर ख़फ़ा क्यों है - संदीप ठाकुर
बेवजह मुझसे फिर ख़फ़ा क्यों है - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
कुछ ख्वाहिश रही नहीं दिल में ,,,,
कुछ ख्वाहिश रही नहीं दिल में ,,,,
अश्विनी (विप्र)
अरुणोदय
अरुणोदय
Manju Singh
जब सब जुटेंगे तो न बंटेंगे, न कटेंगे
जब सब जुटेंगे तो न बंटेंगे, न कटेंगे
सुशील कुमार 'नवीन'
बाल कविता : रेल
बाल कविता : रेल
Rajesh Kumar Arjun
" जय भारत-जय गणतंत्र ! "
Surya Barman
कितने बदल गये
कितने बदल गये
Suryakant Dwivedi
"दाना " तूफान सागर में भयानक कोहराम लाया है ,कहीं मंज़र तबाही
DrLakshman Jha Parimal
3275.*पूर्णिका*
3275.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कुछ परिंदें।
कुछ परिंदें।
Taj Mohammad
नयन कुंज में स्वप्न का,
नयन कुंज में स्वप्न का,
sushil sarna
😊सुप्रभातम😊
😊सुप्रभातम😊
*प्रणय प्रभात*
व्यंग्य एक अनुभाव है +रमेशराज
व्यंग्य एक अनुभाव है +रमेशराज
कवि रमेशराज
दिल की बाते
दिल की बाते
ललकार भारद्वाज
"जगह-जगह पर भीड हो रही है ll
पूर्वार्थ
हुआ दमन से पार
हुआ दमन से पार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
*बचपन की बातें छूट गईं, फिर राधा से प्रभु कहॉं मिले (राधेश्य
*बचपन की बातें छूट गईं, फिर राधा से प्रभु कहॉं मिले (राधेश्य
Ravi Prakash
अब कुछ साधारण हो जाए
अब कुछ साधारण हो जाए
Meera Thakur
हिन्दी पढ़ लो -'प्यासा'
हिन्दी पढ़ लो -'प्यासा'
Vijay kumar Pandey
वो भ्रम है वास्तविकता नहीं है
वो भ्रम है वास्तविकता नहीं है
Keshav kishor Kumar
"आधुनिक मातृत्व: शिक्षा, सोशल मीडिया और जिम्मेदारी"(अभिलेश श्रीभारती)
Abhilesh sribharti अभिलेश श्रीभारती
जब से मेरे सपने हुए पराए, दर्द शब्दों में ढलने लगे,
जब से मेरे सपने हुए पराए, दर्द शब्दों में ढलने लगे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
श्राद्ध
श्राद्ध
Rajesh Kumar Kaurav
Loading...