“आशा मन की”
सर्वत्र सुमंगल हो जाए,
कोई ऐसा जादूगर आए।
बहे शीतल मंद पवन ऐसे,
मन पुलकित- पुलकित हो जाए।
सर्वत्र सुमंगल हो जाए,
कोई ऐसा जादूगर आए।
माँ वसुंधरा का मान बड़े,
जिसे देख स्वर्ग भी शर्माये,
गंधर्व देव सब ये सोचे,
मेरा स्वर्ग धरा सी हो जाए ।
सर्वत्र सुमंगल हो जाए,
कोई ऐसा जादूगर आए।
नित खल- खल नदियों से नीर बहे,
तृषा जीव जगत की शांत करें,
वो नीर सुधा सी हो जाए ।
जिस और तरफ से वो गुजरे,
बंजर भी गुलशन हो जाए ।
सर्वत्र सुमंगल हो जाए,
कोई ऐसा जादूगर आए।
सर्वत्र सुमंगल हो जाए,
कोई ऐसा जादूगर आए —–कोई ऐसा जादूगर आए।।,,,