कैसे मैं खुशियाँ पिरोऊँ ?
पागल नहीं है वो इंसान जो आपको खोने से डर से आत्म सम्मान को ख
तुम्हें अहसास है कितना तुम्हे दिल चाहता है पर।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
साहित्य सृजन की यात्रा में :मेरे मन की बात
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
दोहरा छंद, विधान ( सउदाहरण ) एवं विधाएँ
सुना ह मेरी गाँव में तारीफ बड़ी होती हैं ।
कैसे करूँ मैं तुमसे प्यार
मधुशाला में लोग मदहोश नजर क्यों आते हैं
" बोलती आँखें सदा "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
तुलसी पूजन(देवउठनी एकादशी)