शराब की दुकान(व्यंग्यात्मक)
हकीकत तो यही है आप हकीकत में हकीकत से बहुत दूर है सपनो की दु
*** हम दो राही....!!! ***
वज़्न -- 2122 1122 1122 22(112) अर्कान -- फ़ाइलातुन - फ़इलातुन - फ़इलातुन - फ़ैलुन (फ़इलुन) क़ाफ़िया -- [‘आना ' की बंदिश] रदीफ़ -- भी बुरा लगता है
राह नहीं मंजिल नहीं बस अनजाना सफर है
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
मुद्दतों बाद मिलते पैर लड़खड़ाए थे,
ख़ामोश सा शहर और गुफ़्तगू की आरज़ू...!!
कहने को तो जिन्दगानी रही है ।
मोहब्बत में ग़र बेज़ुबानी रहेगी..!
मान न मान मैं तेरा मेहमान
हुनर मौहब्बत के जिंदगी को सीखा गया कोई।