मुझसे मेरा नाम पूछ के
गीत
मुझसे मेरा नाम पूछ के
जाना तुमने, कौन हूं मैं
परिचय के हैं मारे हम तुम
क्या हम जग को बतलाएं
आशाओं का गांव था अपना
हवा धूप भी इतराएं
छोड़ा पनघट, लुप्त पगडंडी
किसको क्या अब समझाएं
मुझसे मेरा दाम पूछ के
जाना तुमने कौन हूं मैं।।
नहीं जानता मैं भी अपना
कहां प्रारब्ध, गंतव्य कहां
सांसों की बट, बट बट कर ही
पहना मैंने हार यहां
शाम उदासी, हर दिन प्यासी
किसका क्या मंतव्य यहां
मुझसे मेरा काम पूछ के
जाना तुमने कौन हूं मैं।।
उठो उठो और चल पड़ो नित
आवश्यकता की भोर में
सहमी सीमा, संग थी रश्मि
ओझिल पथ की छोर में
नीलांजन के सपने सारे
बुन बुन जहां तारे जड़े
मुझसे मेरी शाम पूछ के
जाना तुमने कौन हूं मैं।।
सूर्यकांत