Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jan 2025 · 1 min read

मुझसे मेरा नाम पूछ के

गीत
मुझसे मेरा नाम पूछ के
जाना तुमने, कौन हूं मैं

परिचय के हैं मारे हम तुम
क्या हम जग को बतलाएं
आशाओं का गांव था अपना
हवा धूप भी इतराएं
छोड़ा पनघट, लुप्त पगडंडी
किसको क्या अब समझाएं
मुझसे मेरा दाम पूछ के
जाना तुमने कौन हूं मैं।।

नहीं जानता मैं भी अपना
कहां प्रारब्ध, गंतव्य कहां
सांसों की बट, बट बट कर ही
पहना मैंने हार यहां
शाम उदासी, हर दिन प्यासी
किसका क्या मंतव्य यहां
मुझसे मेरा काम पूछ के
जाना तुमने कौन हूं मैं।।

उठो उठो और चल पड़ो नित
आवश्यकता की भोर में
सहमी सीमा, संग थी रश्मि
ओझिल पथ की छोर में
नीलांजन के सपने सारे
बुन बुन जहां तारे जड़े
मुझसे मेरी शाम पूछ के
जाना तुमने कौन हूं मैं।।

सूर्यकांत

Language: Hindi
Tag: गीत
25 Views
Books from Suryakant Dwivedi
View all

You may also like these posts

बड़ा सवाल
बड़ा सवाल
Sudhir srivastava
वीर साहिबजादे
वीर साहिबजादे
मनोज कर्ण
कली को खिलने दो
कली को खिलने दो
Ghanshyam Poddar
एक सिपाही
एक सिपाही
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
आज के पापा
आज के पापा
Ragini Kumari
नन्ही भूख
नन्ही भूख
Ahtesham Ahmad
आराम से पढ़ियेगा इसे । बहुत ज़रूरी बात है । आपको बीस पच्चीस
आराम से पढ़ियेगा इसे । बहुत ज़रूरी बात है । आपको बीस पच्चीस
पूर्वार्थ
*ग़ज़ल*
*ग़ज़ल*
शेख रहमत अली "बस्तवी"
हर बच्चा एक गीता है 🙏
हर बच्चा एक गीता है 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मानवता
मानवता
Rahul Singh
जय माँ ब्रह्मचारिणी
जय माँ ब्रह्मचारिणी
©️ दामिनी नारायण सिंह
"जिन्दगी"
Dr. Kishan tandon kranti
करुणभाव
करुणभाव
उमा झा
धुप मे चलने और जलने का मज़ाक की कुछ अलग है क्योंकि छाव देखते
धुप मे चलने और जलने का मज़ाक की कुछ अलग है क्योंकि छाव देखते
Ranjeet kumar patre
"पेड़ पौधों की तरह मनुष्य की भी जड़ें होती हैं। पेड़- पौधों
इशरत हिदायत ख़ान
*शाश्वत सत्य*
*शाश्वत सत्य*
Shashank Mishra
रूस्तम रूठे तो रूपमा, रूह रूठे तो कौन।
रूस्तम रूठे तो रूपमा, रूह रूठे तो कौन।
PK Pappu Patel
यादे....
यादे....
Harminder Kaur
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
rain down abundantly.
rain down abundantly.
Monika Arora
3984.💐 *पूर्णिका* 💐
3984.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
माटी
माटी
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
मिटे क्लेश,संताप दहन हो ,लगे खुशियों का अंबार।
मिटे क्लेश,संताप दहन हो ,लगे खुशियों का अंबार।
Neelam Sharma
"मिजाज़-ए-ओश"
ओसमणी साहू 'ओश'
मैं कविता नहीं लिखती
मैं कविता नहीं लिखती
Priya Maithil
"हम आंखों से कुछ देख नहीं पा रहे हैं"
राकेश चौरसिया
दोहे - डी के निवातिया
दोहे - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
"सलाह" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
एक तो धर्म की ओढनी
एक तो धर्म की ओढनी
Mahender Singh
अनचाहे फूल
अनचाहे फूल
SATPAL CHAUHAN
Loading...