Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Dec 2023 · 1 min read

एक तो धर्म की ओढनी

एक तो धर्म की ओढनी
ऊपर से राजनीतिक छोंक
.
दोहरी शक्ति का समावेश
मिलते नहीं कहीं अवशेष,
.
तोड़ कर अपनी भाव भंगिमा,
महावीर गौतम भंगनवान हुए.
.
बिछा कर बिसात पयादे बिठा दिये,
रहेगा क्षमताओं में अंतर, कह गये,
.
मन की शक्तियां, साधन साधक
ध्यान धारणा समाधि पर खत्म हुई.
.
अहिंसा सत्य पंचशील, करुणा, प्रेम
मानवीय मूल्य सहज भाव प्रकृति हो गई.
.
क्षत विक्षिप्त शरीर, स्वाभाविक रोग,
भूख प्यास लडाई वजूद की लडते रहे.
.
संयम रख, यम, नियम, प्राणों की साधना,
सब के अपने अपने कर्म छोड़े व्यर्थ कामना
.
(महेन्द्र सिंह मनु)

Language: Hindi
233 Views
Books from Mahender Singh
View all

You may also like these posts

नए ज़माने की जीवन शैली
नए ज़माने की जीवन शैली
Pushpa Tiwari
2513.पूर्णिका
2513.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
उसने बात समझी नहीं।
उसने बात समझी नहीं।
Rj Anand Prajapati
अच्छे बच्चे
अच्छे बच्चे
विजय कुमार नामदेव
कान्हा प्रीति बँध चली,
कान्हा प्रीति बँध चली,
Neelam Sharma
पिछले 4 5 सालों से कुछ चीजें बिना बताए आ रही है
पिछले 4 5 सालों से कुछ चीजें बिना बताए आ रही है
Paras Mishra
कागज का रावण जला देने से क्या होगा इस त्यौहार में
कागज का रावण जला देने से क्या होगा इस त्यौहार में
Ranjeet kumar patre
अवधपुरी है आस लगाए
अवधपुरी है आस लगाए
Madhuri mahakash
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
शब्द-वीणा ( समीक्षा)
शब्द-वीणा ( समीक्षा)
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
"अचरज"
Dr. Kishan tandon kranti
बुद्धि   की   जो  अक्षमता  न   होती
बुद्धि की जो अक्षमता न होती
Dr fauzia Naseem shad
ए दिल्ली शहर तेरी फिजा होती है क्यूँ
ए दिल्ली शहर तेरी फिजा होती है क्यूँ
shabina. Naaz
एक चुप्पी
एक चुप्पी
Lalni Bhardwaj
कुछ  गीत  लिखें  कविताई  करें।
कुछ गीत लिखें कविताई करें।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
दिल पागल, आँखें दीवानी
दिल पागल, आँखें दीवानी
Pratibha Pandey
ढ़ूंढ़ रहे जग में कमी
ढ़ूंढ़ रहे जग में कमी
लक्ष्मी सिंह
अगर आप को आप से छोटे नसीहतें देने लगें, तो समझ लेना कि आप जी
अगर आप को आप से छोटे नसीहतें देने लगें, तो समझ लेना कि आप जी
*प्रणय*
फूल
फूल
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
इंतजार करते रहे हम उनके  एक दीदार के लिए ।
इंतजार करते रहे हम उनके एक दीदार के लिए ।
Yogendra Chaturwedi
मुक्तक - यूं ही कोई किसी को बुलाता है क्या।
मुक्तक - यूं ही कोई किसी को बुलाता है क्या।
सत्य कुमार प्रेमी
किस्मत से
किस्मत से
Chitra Bisht
अच्छे कर्म का फल
अच्छे कर्म का फल
Surinder blackpen
दिल दीवाना हो जाए (भाग-२)
दिल दीवाना हो जाए (भाग-२)
Dushyant Kumar Patel
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
उलझन
उलझन
Sakhi
कार्तिक पूर्णिमा  की शाम भगवान शिव की पावन नगरी काशी  की दिव
कार्तिक पूर्णिमा की शाम भगवान शिव की पावन नगरी काशी की दिव
Shashi kala vyas
देखकर प्यार से मुस्कुराते रहो।
देखकर प्यार से मुस्कुराते रहो।
surenderpal vaidya
सतगुरु से जब भेंट हुई
सतगुरु से जब भेंट हुई
Buddha Prakash
आज की इस भागमभाग और चकाचौंध भरे इस दौर में,
आज की इस भागमभाग और चकाचौंध भरे इस दौर में,
पूर्वार्थ
Loading...