Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jan 2025 · 1 min read

हावी – ए – इश्क़बाज़ी

हावी – ए – इश्क़बाज़ी

किसी भी देश में जब शिक्षा और संस्कार के जगह विपरीत लिंगों के प्रति आकर्षण और इश्क़बाज़ी हावी हो जाए तो ऐसी युवपीढ़ी देश के विकास के लिए महज एक अभिशाप बनकर रह जाते है।
RJ Anand Prajapati

19 Views

You may also like these posts

दोस्ती
दोस्ती
Neha
The Misfit...
The Misfit...
R. H. SRIDEVI
मनमानी करते नेता
मनमानी करते नेता
Chitra Bisht
*शुभ-रात्रि*
*शुभ-रात्रि*
*प्रणय*
ज़िन्दगी का यक़ीन कैसे करें,
ज़िन्दगी का यक़ीन कैसे करें,
Dr fauzia Naseem shad
संगदिल
संगदिल
Aman Sinha
मां की ममता को भी अखबार समझते हैं वो,
मां की ममता को भी अखबार समझते हैं वो,
Phool gufran
क्रांक्रीट का जंगल न बनाएंगे..
क्रांक्रीट का जंगल न बनाएंगे..
पं अंजू पांडेय अश्रु
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
“अधूरी नज़्म”
“अधूरी नज़्म”
Meenakshi Masoom
बग़ावत की लहर कैसे.?
बग़ावत की लहर कैसे.?
पंकज परिंदा
समय सदा एक सा नही रहता है।
समय सदा एक सा नही रहता है।
Mangu singh
दू गो देश भक्ति मुक्तक
दू गो देश भक्ति मुक्तक
आकाश महेशपुरी
विषय :- रक्त रंजित मानवीयता रस-वीभत्स रस विधा-मधुमालती छंद आधारित गीत मापनी-2212 , 2212
विषय :- रक्त रंजित मानवीयता रस-वीभत्स रस विधा-मधुमालती छंद आधारित गीत मापनी-2212 , 2212
Neelam Sharma
" लेकिन "
Dr. Kishan tandon kranti
बाप अपने घर की रौनक.. बेटी देने जा रहा है
बाप अपने घर की रौनक.. बेटी देने जा रहा है
Shweta Soni
दिल की हरकते दिल ही जाने,
दिल की हरकते दिल ही जाने,
Lakhan Yadav
जरूरी नहीं जिसका चेहरा खूबसूरत हो
जरूरी नहीं जिसका चेहरा खूबसूरत हो
Ranjeet kumar patre
बाल कविता : काले बादल
बाल कविता : काले बादल
Rajesh Kumar Arjun
sp54मत कहिए साहित्यिक उन्नयन
sp54मत कहिए साहित्यिक उन्नयन
Manoj Shrivastava
इन फूलों से सीख ले मुस्कुराना
इन फूलों से सीख ले मुस्कुराना
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
54….बहर-ए-ज़मज़मा मुतदारिक मुसम्मन मुज़ाफ़
54….बहर-ए-ज़मज़मा मुतदारिक मुसम्मन मुज़ाफ़
sushil yadav
श्मशान
श्मशान
श्रीहर्ष आचार्य
आशियाना
आशियाना
Uttirna Dhar
--पुर्णिका---विजय कुमार पाण्डेय 'प्यासा'
--पुर्णिका---विजय कुमार पाण्डेय 'प्यासा'
Vijay kumar Pandey
4477.*पूर्णिका*
4477.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मेरे वतन सूरज न निकला
मेरे वतन सूरज न निकला
Kavita Chouhan
फर्क़ क्या पढ़ेगा अगर हम ही नहीं होगे तुमारी महफिल
फर्क़ क्या पढ़ेगा अगर हम ही नहीं होगे तुमारी महफिल
shabina. Naaz
प्यार कभी यूं छिपाते नहीं
प्यार कभी यूं छिपाते नहीं
पूर्वार्थ
Loading...