खिलती हुई फिज़ाएं है ,कुछ सर्द सी हवा
खिलती हुई फिज़ाएं है ,कुछ सर्द सी हवा
अपना अलग मज़ा है दिसंबर की धूप का
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद
खिलती हुई फिज़ाएं है ,कुछ सर्द सी हवा
अपना अलग मज़ा है दिसंबर की धूप का
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद