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2 Jan 2025 · 1 min read

खिलती हुई फिज़ाएं है ,कुछ सर्द सी हवा

खिलती हुई फिज़ाएं है ,कुछ सर्द सी हवा
अपना अलग मज़ा है दिसंबर की धूप का
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद

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