तब आदमी का होता है पीरी से सामना
*केवल पुस्तक को रट-रट कर, किसने प्रभु को पाया है (हिंदी गजल)
जिन्दगी सदैव खुली किताब की तरह रखें, जिसमें भावनाएं संवेदनशी
मनवार
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
दुश्मनों को मैं हुकार भरता हूँ।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जीवन में फल रोज़-रोज़ थोड़े ही मिलता है,
चिंता अस्थाई है
Sueta Dutt Chaudhary Fiji
गीत- मिला कोई अदाओं से...
इंसान का कोई दोष नही जो भी दोष है उसकी सोच का है वो अपने मन
Piyush Goel - Real Life Hero