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27 Dec 2024 · 1 min read

सूखी लकड़ियों में, वो बात कहाँ ।

सूखी लकड़ियों में, वो बात कहाँ ।
पत्तों को हिला कर, आग भड़का दे।
पत्तों के जुदा होते, जड जुदा होना पड़ता है।
अब तो तपन लाने को, खुद जलना पड़ता हैं।

श्याम सांवरा…

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