हसरतें भी मेरी शर्मिंदा है,
हसरतें भी मेरी शर्मिंदा है,
कैसे अब तक मैं जिंदा हूं।
चाहत चूमलूं आसमां को,
कैसे भूल जाता हूं परिंदा हूं।
श्याम सांवरा…
हसरतें भी मेरी शर्मिंदा है,
कैसे अब तक मैं जिंदा हूं।
चाहत चूमलूं आसमां को,
कैसे भूल जाता हूं परिंदा हूं।
श्याम सांवरा…