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24 Dec 2024 · 1 min read

उम्मीद

रात से पूछता हूँ
कैसे सहती हो
यह एकांत
अपनी छाती पर अकेले !!

रात हँसती हैं
मेरी देह पर एक शब्द लिखकर :
‘सुबह’

– अनोप भाम्बु

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