उम्मीद
रात से पूछता हूँ
कैसे सहती हो
यह एकांत
अपनी छाती पर अकेले !!
रात हँसती हैं
मेरी देह पर एक शब्द लिखकर :
‘सुबह’
– अनोप भाम्बु
रात से पूछता हूँ
कैसे सहती हो
यह एकांत
अपनी छाती पर अकेले !!
रात हँसती हैं
मेरी देह पर एक शब्द लिखकर :
‘सुबह’
– अनोप भाम्बु