क्षणिकाएँ ….
क्षणिकाएँ ….
बाहर
प्रचंड तूफ़ान
संघर्ष का
अंतस में
शब्दहीन
गहरा सागर
स्पर्श का
*
अनुबंध
खंडित हुए
बाहुबंध
मंडित हुए
मौन सभी
दंडित हुए
*
प्रश्न
विकराल
उत्तरों के जाल
गोताखोर
विलग न कर सका
आभास को
यथार्थ से
अंत तक
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित