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5 Jan 2024 · 1 min read

2902.*पूर्णिका*

2902.*पूर्णिका*
🌷 *मिलता है तकदीर से *
22 22 212
मिलता है तकदीर से ।
रहता कौन फकीर से।।

जीना मरना बस यहाँ ।
डरना क्या शमशीर से।।

दुनिया तो लेते मजा ।
न गरीब मन अमीर से।।

मन क्या है झलकते।
कुछ परखे न तस्वीर से।।

बोले खेदू सच यहाँ ।
बदले सब तदबीर से।।
………✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
05-01-2024शुक्रवार

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