दोहा ग़ज़ल
खेल-खेल में हो गया हमको तुमसे प्यार
आप बने हो सच कहूँ यार गले का हार//1
होगी अपनी दोस्ती देंगे हरपल साथ
सबकी बनके प्रेरणा महकेगा व्यवहार//2
मिलते-मिलते मिल गये हमतुम काजल-नैन
जिनका सुंदर स्वर्ग से मिलजुल है संसार//3
ख़ून-हिमोग्लोबिन मिले रंग दिखे तब लाल
दोनों हो जाएँ ज़ुदा जुड़ें मौत के तार//4
खिलते-खिलते खिल गई जीवन की तसवीर
फूल कली दोनों हँसें भूले जीवन ख़ार//5
उतरें सागर पार हम बनें नाव पतवार
ऐसा करके हो चलें दो से हम फिर चार//6
प्रीतम हमतुम हो गये बनके ‘प्रीतम’ गीत
अब अपने संगीत का बढ़े समझ जग भार//7
आर.एस. ‘प्रीतम’