प्यारी माँ
माँ
तुझे शत् शत् नमन!
तू कितनी सीधी
और कितनी भोली है।
लाखों कष्ट सहकर भी
तू हरदम मुस्कराती है।
महकता है घर आंगन
तेरी एक आहट से।
आज सूना-सूना है सब कुछ
तेरे चले जाने से।
तू करुणा का सागर
और ममता की मूरत है।
लाख गल्तियां करे हम
तू अपने आंचल से छिपा लेती है।
नौ माह गर्भ मे रखकर
जन्म के बाद नाम पिता का देती हो।
बच्चे को सूखे बिस्तर मे सुला
स्वयं गीले मे सोती हो।
मैं निःशब्द हूँ
तेरे जीवन के बारे मे कुछ लिखना
सूर्य को दीपक दिखाना है।
माँ
तेरा स्थान जग मे सबसे ऊँचा है।
माँ तेरी दुवाएं है मेरे साथ
सब कुछ ठीक- ठाक है।
पर जेहन मे हमेशा एक कमी
खटकती है
काश! तू होती तो कितनी खुशी होती ।
खुद किस्मत है वे लोग जिनकी माँ साथ है।
रंजन तो बचपन से माँ की यादों के साथ है।
माँ तू हर पल याद आती है
आखिर माँ तो माँ होती है।
जिसकी कोई परिभाषा नही
होती है।
राजेश तिवारी “रंजन”
बाँदा( उ0 प्र0 )