Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Dec 2024 · 1 min read

समय बदल गया है और यह कुछ इस तरह रिश्तों में भी बदलाव लेकर आय

समय बदल गया है और यह कुछ इस तरह रिश्तों में भी बदलाव लेकर आया है।
गर तुम नाराज़ हो किसी बात से तो तुम्हें मनाने से बेहतर छोड़ना समझेंगे
और उस रिश्ते को संभालने से बेहतर उसे तोड़ना समझेंगे।

42 Views

You may also like these posts

नारी जाति को समर्पित
नारी जाति को समर्पित
Juhi Grover
पाश्चात्य विद्वानों के कविता पर मत
पाश्चात्य विद्वानों के कविता पर मत
कवि रमेशराज
*सॉंसों में जिसके बसे, दशरथनंदन राम (पॉंच दोहे)*
*सॉंसों में जिसके बसे, दशरथनंदन राम (पॉंच दोहे)*
Ravi Prakash
जब आमदनी रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमत से कई गुना अधिक हो तब व
जब आमदनी रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमत से कई गुना अधिक हो तब व
Rj Anand Prajapati
राम नाम सत्य है
राम नाम सत्य है
Rajesh Kumar Kaurav
तसदीक़ हो सके ऐसा न छोड़ा गया मुझे
तसदीक़ हो सके ऐसा न छोड़ा गया मुझे
Dr fauzia Naseem shad
जिक्र
जिक्र
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
गिरगिट तो संसार में,
गिरगिट तो संसार में,
sushil sarna
ये वादियां
ये वादियां
Surinder blackpen
जहां प्रगटे अवधपुरी श्रीराम
जहां प्रगटे अवधपुरी श्रीराम
Mohan Pandey
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
नर जीवन
नर जीवन
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
3258.*पूर्णिका*
3258.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हमसफ़र नहीं क़यामत के सिवा
हमसफ़र नहीं क़यामत के सिवा
Shreedhar
शीर्षक-तुम मेरे सावन
शीर्षक-तुम मेरे सावन
Sushma Singh
कामचोर (नील पदम् के दोहे)
कामचोर (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
स्वाधीनता के घाम से।
स्वाधीनता के घाम से।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
कथाकार
कथाकार
Acharya Rama Nand Mandal
तृष्णा उस मृग की भी अब मिटेगी, तुम आवाज तो दो।
तृष्णा उस मृग की भी अब मिटेगी, तुम आवाज तो दो।
Manisha Manjari
क्यों पड़ी है गांठ, आओ खोल दें।
क्यों पड़ी है गांठ, आओ खोल दें।
surenderpal vaidya
मेरा प्रेम पत्र
मेरा प्रेम पत्र
डी. के. निवातिया
जीवन आसान नहीं है...
जीवन आसान नहीं है...
Ashish Morya
मैं नारी हूं
मैं नारी हूं
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
नजरे तो मिला ऐ भरत भाई
नजरे तो मिला ऐ भरत भाई
Baldev Chauhan
श्रीराम स्तुति-वंदन
श्रीराम स्तुति-वंदन
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
"खामोशी"
Dr. Kishan tandon kranti
संस्कार में झुक जाऊं
संस्कार में झुक जाऊं
Ranjeet kumar patre
कुर्बतों में  रफ़ाकत   थी, बहुत   तन्हाइयां थी।
कुर्बतों में रफ़ाकत थी, बहुत तन्हाइयां थी।
दीपक झा रुद्रा
महानगर के पेड़ों की व्यथा
महानगर के पेड़ों की व्यथा
Anil Kumar Mishra
शिक्षक दिवस पर कुछ विधाता छंद पर मुक्तक
शिक्षक दिवस पर कुछ विधाता छंद पर मुक्तक
Dr Archana Gupta
Loading...