*मस्ती को कब चाहिए, धन-दौलत-भंडार (कुंडलिया)*
मस्ती को कब चाहिए, धन-दौलत-भंडार (कुंडलिया)
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मस्ती को कब चाहिए, धन-दौलत-भंडार
बचपन जिसमें है बसा, उसका शुचि व्यवहार
उसका शुचि व्यवहार, सदा वह सुख से रहता
धन का भले अभाव, बात हर हॅंस के कहता
कहते रवि कविराय, जगत में सबसे सस्ती
जो हैं छल से दूर, स्वत: पाते वह मस्ती
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451