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3 Dec 2024 · 1 min read

“क्यों आए हैं जीवन में ,क्या इसका कोई मूल है ।

“क्यों आए हैं जीवन में ,क्या इसका कोई मूल है ।
सब्र ,प्रेम अब रहा नहीं,नफरत की उड़ती धूल है।
मर्यादा का भान नहीं, लालच में करते भूल हैं।
स्वार्थ का पलड़ा भारी है,बस बातों में ही कूल है।”
“हक़ीक़त “💜💕😊

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