संघर्ष पथ का मैं दीपक
सूरज सी तपिश ,चंद्रमा सी शीतलता, रात सी कालिमा और दिन सा उजाला
इन सारे प्रतिमानों से मेरा ना कोई वास्ता
संघर्ष पथ का मैं दीपक
रहता सदा जलता
ही जलता
जो बरखा मुझे बुझा न पाती …
बन तेल यादों की लौ जलाती .. टिमटिमाती ही रहती सदा ..
जो पवन मुझे बुझा न पाती
अंदर ही अंदर सुलगाती रहती यदा – कदा
जो लौ हमारी छिटक जाती
मिल जाएगी इसी पथ …बस यही संघर्ष है बदा
संघर्ष पथ का मैं दीपक
रहता सदा जलता
ही जलता
✍️अंजुपांडे अश्रु