Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Nov 2024 · 1 min read

Isn’t strange how so many versions of you live in other peop

Isn’t strange how so many versions of you live in other people’s minds?
To some, you’re the quiet one who never speaks.
To others, you’re the loud one who never stops talking
Some see you as distant and hard to know while others think you’re the most caring person they’ve met.
But none of these versions are real you.
They’re just pieces shaped by how people see the world not by who you really are.
Even the person you believe yourself to be only exists for yourself. One that lives only in your mind. Build from your own memories, your worries and your dreams.
Perhaps, who you are isn’t meant to be defined but discovered moment by moment. In the way, you choose to live.
But you not defined by the fragments others see you even the image you hold of yourself.
You’re the choices you make, the love you give and the life you create. Maybe being undefinable is the most HUMAN thing of all.

66 Views

You may also like these posts

*कौन है इसका जिम्मेदार?(जेल से)*
*कौन है इसका जिम्मेदार?(जेल से)*
Dushyant Kumar
क्या मथुरा क्या काशी जब मन में हो उदासी ?
क्या मथुरा क्या काशी जब मन में हो उदासी ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Preshan zindagi
Preshan zindagi
रुचि शर्मा
समझ आती नहीं है
समझ आती नहीं है
हिमांशु Kulshrestha
मुखौटा
मुखौटा
Vivek Pandey
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (ARTIFICIAL INTELLIGENCE)
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (ARTIFICIAL INTELLIGENCE)
श्याम सांवरा
अगर अयोध्या जैसे
अगर अयोध्या जैसे
*प्रणय*
मुझे छू पाना आसान काम नहीं।
मुझे छू पाना आसान काम नहीं।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
आत्मीय रिश्तों की ताकत
आत्मीय रिश्तों की ताकत
Sudhir srivastava
विकल्प
विकल्प
Sanjay ' शून्य'
कहती नही मै ज्यादा ,
कहती नही मै ज्यादा ,
Neelu Tanwer
किराये का घर
किराये का घर
Kaviraag
करती गहरे वार
करती गहरे वार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
आदमी ही आदमी से खौफ़ खाने लगे
आदमी ही आदमी से खौफ़ खाने लगे
Dr. Kishan Karigar
जो तुम्हारी ख़ामोशी से तुम्हारी तकलीफ का अंदाजा न कर सके उसक
जो तुम्हारी ख़ामोशी से तुम्हारी तकलीफ का अंदाजा न कर सके उसक
इशरत हिदायत ख़ान
24/234. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/234. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*याद  तेरी  यार  आती है*
*याद तेरी यार आती है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
साहित्य की उपादेयता
साहित्य की उपादेयता
Dr. Kishan tandon kranti
पाॅंचवाॅं ओमप्रकाश वाल्मीकि स्मृति साहित्य सम्मान समारोह -2024 संपन्न
पाॅंचवाॅं ओमप्रकाश वाल्मीकि स्मृति साहित्य सम्मान समारोह -2024 संपन्न
Dr. Narendra Valmiki
मुझे पति नहीं अपने लिए एक दोस्त चाहिए: कविता (आज की दौर की लड़कियों को समर्पित)
मुझे पति नहीं अपने लिए एक दोस्त चाहिए: कविता (आज की दौर की लड़कियों को समर्पित)
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
स्वामी विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद
मनोज कर्ण
सीमाओं का परिसीमन
सीमाओं का परिसीमन
Nitin Kulkarni
🌳 *पेड़* 🌳
🌳 *पेड़* 🌳
Dhirendra Singh
तुम फिर आओ गिरधारी!
तुम फिर आओ गिरधारी!
अनुराग दीक्षित
खालीपन
खालीपन
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
तुम जाते हो..
तुम जाते हो..
Priya Maithil
सुनते भी रहे तुमको मौन भी रहे हरदम।
सुनते भी रहे तुमको मौन भी रहे हरदम।
Abhishek Soni
मेहनत और तनाव
मेहनत और तनाव
Dr MusafiR BaithA
*चाय और चाह*
*चाय और चाह*
Shashank Mishra
तुम रूठकर मुझसे दूर जा रही हो
तुम रूठकर मुझसे दूर जा रही हो
Sonam Puneet Dubey
Loading...