sp43 खंडहर यह कह रहे/ लाए हैं भाषण
sp43 खंडहर ये कह रहे
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खंडहर ये कह रहे स्तूप पर कविता लिखो
रूपसी यह कह रही है रूप पर कविता लिखो
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दौर कैसा आ गया बदले गजब हालात हैं
चांदनी यह बोलती है धूप पर कविता लिखो
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कह रहे मन के ये मनके थाह पाने के लिए
समझ लो गहराई तब मन कूप पर कविता लिखो
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दुख गरीबी भुखमरी पर वक्त मत जाया करो
इस जमाने का चलन है भूप पर कविता लिखो
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हमको चलनी पर भी लिखने का सलीका आ गया
आपकी फरमाइश आई सूप पर कविता लिखो
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लाए हैं भाषण
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लाए हैं भाषण की पोटलिया खेल दिखाने आए जमूरे
कुछ सब में शातिर दिखते हैं बाकी थोड़े लगे अधूरे
जो भी जीता कहलाएगा राजनीति का चतुर खिलाड़ी
जनता को सपने दिखलाकर करेगा अपने सपने पूरे
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डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
यह भी गायब वह भी गायब