प्रतिभा! ईश्वर से मिलती है, आभारी रहे। ख्याति! समाज से मिलती
दिया जा रहा था शराब में थोड़ा जहर मुझे
आधार छंद - बिहारी छंद
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
लिख के उंगली से धूल पर कोई - संदीप ठाकुर
जिंदगी जीने के दो ही फ़ेसले हैं
महफ़िल में कुछ जियादा मुस्कुरा रहा था वो।
- तुम ही मेरे जीने की वजह -
जिस प्रकार सूर्य पृथ्वी से इतना दूर होने के बावजूद भी उसे अप
छायावाद के गीतिकाव्य (पुस्तक समीक्षा)