वक़्त हमेशा एक जैसा नहीं रहता...
चैत्र नवमी शुक्लपक्ष शुभ, जन्में दशरथ सुत श्री राम।
बुरा वक्त
Naseeb Jinagal Koslia नसीब जीनागल कोसलिया
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कई बचपन की साँसें - बंद है गुब्बारों में
अर्थ में प्रेम है, काम में प्रेम है,
इस ज़मीं से आसमान देख रहा हूँ ,
भगवान भले ही मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, और चर्च में न मिलें
चलो कहीं दूर जाएँ हम, यहाँ हमें जी नहीं लगता !
औरतें, क्यूं दलील देती हैं
Connectivity of a nature is a dexterity of the future.
चलो मनाएं नया साल... मगर किसलिए?
कांटों में जो फूल खिले हैं अच्छे हैं।
इन चरागों को अपनी आंखों में कुछ इस तरह महफूज़ रखना,
कितने ही झूठ की बैसाखी बना लो,
रुके ज़माना अगर यहां तो सच छुपना होगा।