अत्यधिक खुशी और अत्यधिक गम दोनो अवस्थाएं इंसान के नींद को भं
क्यों ख़ाली क्यों उदास रहे.....
हनुमान जन्म स्थली किष्किंधा
इस उजले तन को कितने घिस रगड़ के धोते हैं लोग ।
तुम्हारे इंतिज़ार में ........
रात ॲंधेरी सावन बरसे नहीं परत है चैन।
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कुंभकार
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
"पापा की लाडली " क्या उन्हें याद मेरी आती नहीं
खामोशियाँ
कल्पना सोनी "काव्यकल्पना"
संघर्ष से अनुकूल इंसान, डरता जरूर है पर हारता नहीं है।
मेरी काली रातो का जरा नाश तो होने दो
ଏହା କୌଣସି ପ୍ରଶ୍ନ ନୁହେଁ, ଏହା ଏକ ଉତ୍ତର ।