रँगा सँसार
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
महालक्ष्मी छंद आधृत मुक्तक
अवसरवादी होना द्विअर्थी है! सन्मार्ग पर चलते हुए अवसर का लाभ
गौ नंदिनी डॉ विमला महरिया मौज
आसमान तक पहुंचे हो धरती पर हो पांव
देखिए रिश्ते जब ज़ब मजबूत होते है
*फहराते भगवा ध्वजा, भारत के हम लोग (कुंडलिया)*
ईश्वरीय समन्वय का अलौकिक नमूना है जीव शरीर, जो क्षिति, जल, प
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
थोड़ा सा बिखरकर थोड़ा सा निखरकर,
कही हॉस्पिटलों में जीवन और मौत की जंग लड़ रहे है लोग।
बेदर्द ज़माने ने क्या खूब सताया है…!
जा के बैठेगी अब कहां तितली
सगण के सवैये (चुनाव चक्कर )
हम–तुम एक नदी के दो तट हो गए– गीत