Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Oct 2024 · 1 min read

“जीने के लिए “

“जीने के लिए ”
जीने के लिए मरना पड़ता है,
उभरने के लिए तैरना पड़ता है।

2 Likes · 3 Comments · 57 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all

You may also like these posts

3844.💐 *पूर्णिका* 💐
3844.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
ये बेजुबान हैं
ये बेजुबान हैं
Sonam Puneet Dubey
हम प्यार तुमसे कर सकते नहीं
हम प्यार तुमसे कर सकते नहीं
gurudeenverma198
थोड़ा दिन और रुका जाता.......
थोड़ा दिन और रुका जाता.......
Keshav kishor Kumar
क्या मिला ..... ?
क्या मिला ..... ?
Sunil Suman
"पुराने दिन"
Lohit Tamta
Children's is the chacha Nehru Fan.
Children's is the chacha Nehru Fan.
Rj Anand Prajapati
ग़ज़ल-दिल में दुनिया की पीर
ग़ज़ल-दिल में दुनिया की पीर
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
स्नेहिल प्रेम अनुराग
स्नेहिल प्रेम अनुराग
Seema gupta,Alwar
सुहाना बचपन
सुहाना बचपन
Mansi Kadam
तुम्हें युग प्रवर्तक है शत-शत नमन।।
तुम्हें युग प्रवर्तक है शत-शत नमन।।
अनुराग दीक्षित
तुम्हारी खुशी में मेरी दुनिया बसती है
तुम्हारी खुशी में मेरी दुनिया बसती है
Awneesh kumar
पुराना साल-नया वर्ष
पुराना साल-नया वर्ष
Arun Prasad
आनंद वर्धक / पीयूष वर्ष छंद विधान सउदाहरण
आनंद वर्धक / पीयूष वर्ष छंद विधान सउदाहरण
Subhash Singhai
दोहे
दोहे
Suryakant Dwivedi
बारिश.........
बारिश.........
Harminder Kaur
सजल
सजल
seema sharma
भारत के जोगी मोदी ने --
भारत के जोगी मोदी ने --
Seema Garg
बीता हुआ कल
बीता हुआ कल
dr rajmati Surana
जीवन भर मर मर जोड़ा
जीवन भर मर मर जोड़ा
Dheerja Sharma
हम दर्पण भी दिखलाते हैं
हम दर्पण भी दिखलाते हैं
श्रीकृष्ण शुक्ल
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"मानो या न मानो"
Dr. Kishan tandon kranti
नित  हर्ष  रहे   उत्कर्ष  रहे,   कर  कंचनमय  थाल  रहे ।
नित हर्ष रहे उत्कर्ष रहे, कर कंचनमय थाल रहे ।
Ashok deep
बहुत लोग जमा थे मेरे इर्दगिर्द मुझे समझाने वाले।
बहुत लोग जमा थे मेरे इर्दगिर्द मुझे समझाने वाले।
Ashwini sharma
रूहानी इश्क
रूहानी इश्क
ओनिका सेतिया 'अनु '
खेल जगत का सूर्य
खेल जगत का सूर्य
आकाश महेशपुरी
जिंदगी हवाई जहाज
जिंदगी हवाई जहाज
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
अकेले बन नहीं सकती कभी गीतों की ये लड़ियाँ !
अकेले बन नहीं सकती कभी गीतों की ये लड़ियाँ !
DrLakshman Jha Parimal
*अपने बाल खींच कर रोती (बाल कविता)*
*अपने बाल खींच कर रोती (बाल कविता)*
Ravi Prakash
Loading...