जर जमीं धन किसी को तुम्हारा मिले।
स्वर्गीय लक्ष्मी नारायण पांडेय निर्झर की पुस्तक 'सुरसरि गंगे
** सीने पर गहरे घाव हैँ **
है जरूरी हो रहे
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
खुशी पाने का जरिया दौलत हो नहीं सकता
पतझड़ और हम जीवन होता हैं।
यूं न इतराया कर,ये तो बस ‘इत्तेफ़ाक’ है
मन नही है और वक्त भी नही है
क्यों गम करू यार की तुम मुझे सही नही मानती।
वक्त सबको पहचानने की काबिलियत देता है,
नस नस में तू है तुझको भुलाएँ भी किस तरह
Best Preschool Franchise in India
शीर्षक -तेरे जाने के बाद!