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25 Sep 2024 · 1 min read

एक उलझी किताब है जीवन

एक उलझी किताब है जीवन।
हाँ.. मग़र लाज़वाब है जीवन।

है उफनता हुआ सा इक दरिया,
या छलकती शराब है जीवन।

मुश्किलों से न तोड़ रिश्ता यूँ,
बस इन्हीं का हिसाब है जीवन।

ये तमाशा नहीं कशाकश है,
कौन कहता खराब है जीवन।

हाँ….! यकीनन हज़ार काँटों में,
एक खिलता गुलाब है जीवन।

पंकज शर्मा “परिंदा”

Language: Hindi
110 Views
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